ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गई
ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई
एक मैं, एक तुम, एक दीवार थी
ज़िंदगी आधी-आधी बँटी रह गई
रात की भीगी-भीगी छतों की तरह,
मेरी पलकों पे थोडी नमी रह गई
मैंने रोका नहीं वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गई
मेरे घर की तरफ धूप की पीठ थी
आते-आते इधर चाँदनी रह गई!!!
मैं कई बार ये सोचता रहा हूँ कि आपके साथ कौन सा पल साझा करुँ लेकिन ये महसूस होता है कि कि हर पल आपके साथ साझा कर सकता हूँ । क्योंकि शीर्षक के मुताबिक मुझे तो आपके साथ तसावीरों के साथ ही बात करनी है ...। तो एक तस्वीर आपके साथ गोवा से...
आमतौर पर कहीं जाने के लिए मैं कोई खास तैयारी नहीं करता। लेकिन मोबाइल है की साथ ही नहीं छोड़ता। अब तैयारी के साथ इसे भी देखते रहना जरूरी है। पिछले दिनों जब पटना प्रवास था उसी दौरान की यह तस्वीर है।
कई साल लगे लेकिन आखिर मैं उन झंझावातों से निकल ही आया। मुझे आज महसूस हो रहा है कि वास्तव में शरीर हवा की भांति हल्का और नई उर्जा से भरा हुआ है,,,, चलिए फिर मिलते रहेंगे,,,,।।
वैसे तो एक पत्रकार हूँ,आपसे बातें करना चाहता हूँ,इसलिए लिखने जैसे कठिन काम करने की कोशिश करता हूँ। इस काम के अलावा मन के उन विचारों को आप तक पहुँचाने की कोशिश करता हूँ जिसे ना तो किसी ने देखा है, और ना ही किसी ने सुना है। एक शब्द में बताउँ तो मन के उन अनछुए पहलू को आपको बताने का मन करता है, जिसे मन में रख कर अकुलाहट होती है। इसी प्रयास में इंडियानामा के ज़रिए आप तक पहुँचने की कोशिश है । ये इंडियानाम आपको मेरे इस भारतभूमि के कई पहलू से भी परिचय कराएगा..।