Monday 21 November 2011

दूर गमों के साए


आम जीवन की जद्दोजेहद से बहुत दूर सुकून के ये पल शायद जीवन में पहली बार नसीब हुआ है। हमारे साथ का ये अनुभव परिवार के उस सदस्य के रुप में था जिसका मैं जीवन भर आदर करता हूँ। निराशा से निकल कर आशा की किरणों को मैने यहीं देखा,एक शब्द जो नए मायने दे गया चेट्टी जीवन भर इस शब्द का संबोधन रहेगा

एक खूबसूरत घर


घर केवल चारदीवारियों से नहीं बनता उसमें भावनाएँ भी समाहित रहती हैं। इस घर में आकर मुझे महसूस हुआ कि भावनाएँ क्या होती हैं। मैं तो आज भी इन भावनाओं की सुखद अनुभव में नहा चुका हूँ।

केरल यादें


कितना भी कहूँ मुझे तो कम ही लगता है। हर बार की तरह एक नया अनुभव मुझे मिला जिसे शब्दों में बयान करना संभव ही नहीं लेकिन जीवन का नहीं भूलने वाला पल आपके सामने है, शायद आपको भी इनसे प्यार हो जाए......