Monday 4 August 2008

चाय का वो प्याला...,


आमतौर पर मैं चाय नहीं पीता हूँ लेकिन वो चाय की चुस्की आज भी याद है जिसे मैंने पीया था। कारण जो भी बन पडा हो लेकिन था बेहतर और भला हो क्यों ना साथ में जो मेरा सबसे करीबी दोस्त जो था। तब तो चाय सीधे दार्जलिंग से आयी हुई ही लगती है।

Friday 4 July 2008




ये एक तस्वीर है जिसके जरिये विचारों को आना जाना लगा रहता है लेकिन ऐसे कोई बात नहीं कि एक विचार नहीं है,जिसके बाद कोई विचार हीं ना आये खिडकियाँ खुलीं हैं विचारों की हवाएँ खुब आयेंगी।