Monday 21 November 2011

दूर गमों के साए


आम जीवन की जद्दोजेहद से बहुत दूर सुकून के ये पल शायद जीवन में पहली बार नसीब हुआ है। हमारे साथ का ये अनुभव परिवार के उस सदस्य के रुप में था जिसका मैं जीवन भर आदर करता हूँ। निराशा से निकल कर आशा की किरणों को मैने यहीं देखा,एक शब्द जो नए मायने दे गया चेट्टी जीवन भर इस शब्द का संबोधन रहेगा

एक खूबसूरत घर


घर केवल चारदीवारियों से नहीं बनता उसमें भावनाएँ भी समाहित रहती हैं। इस घर में आकर मुझे महसूस हुआ कि भावनाएँ क्या होती हैं। मैं तो आज भी इन भावनाओं की सुखद अनुभव में नहा चुका हूँ।

केरल यादें


कितना भी कहूँ मुझे तो कम ही लगता है। हर बार की तरह एक नया अनुभव मुझे मिला जिसे शब्दों में बयान करना संभव ही नहीं लेकिन जीवन का नहीं भूलने वाला पल आपके सामने है, शायद आपको भी इनसे प्यार हो जाए......

Sunday 10 July 2011

बढते कदम एक ओर..


माँ से कहता हूँ कि बैराग्य मेरी नियती है तो माँ तो मानती ही नहीं। लेकिन मेरा मन बार बार वैराग्य धारण कर कुछ समाज से जुडी बातों पर काम करने को करता है। इसी लिए मैं अपने आप को कभी कभी उस वेश भूषा

त्रियंबकेश्वर की याद


मैं शुरुआती दौर से एक घुम्मक्कडी का जीवन बीताना चाहता था। लेकिन ना तो संयोग जुट पाता था और ना ही कोई मौका ही मिल पाता था। लेकिन मेरी नौकरी ने ही इस ओर प्रेरित किया कि घुम्मक्कडी जीवन बीता सकूँ। लिहाजा त्रियंबकेश्वर भी घूम आया जो एक शांत और सुखद अनुभव दे गया।

एक यादगार


कई दिनों के बाद एक बार फिर मैं गेटवे ऑफ इंडिया पर गया लगभग तीन साल पहले हुई घटनाएँ एक बारगी से मेरे आखों के सामने आ गई जिन्हें याद कर के मैं सोंच में पड गया।

दोस्ती के एक पल


दोस्तों के साथ बिताए पल हरदम यादगार रहते हैं।भले ही व्यस्त जीवन हो या कोई और लेकिन आनंद दे जाता है।

Sunday 8 May 2011

सुबह की पहली किरण....


घर में अगर सुबह की पहली किरण पडे तो निश्चय ही सब कुछ बेहद साफ साफ और सुकून का मिला जुला असर लगता है। मेरे साथ भी यही हुआ। नए घर में पलहा दिन इतना सुकून भरा होगा मैंने सोंचा नहीं था। कल्पना से परे था इस आनंद को जमी पर उतारना लेकिन जब आनंद में दिल में उतर आया तो भरपूर आनंदित कर गया।

Wednesday 4 May 2011

मन की शांति


सचमुच मन की शांति बडी ही मुश्किल से मिलती है। इस बार अपने आप को शांत करने के लिए बेहद ही ज्यादा मश्कत करनी पडी। लगभग पाँच दिनों तक इस तरह रहा तब जाकर अपने आप को शात रख पाया।.....

Tuesday 19 April 2011

रत्नागीरी एक याद....


यहाँ की यादें आज भी ताज़ा हैं, लगभग साल वीतने को आया लेकिन आज ये बेहतरीन जगह राजनीति की भंट चढ रहा है। रत्नागीरी का ये वो जगह हैं जहाँ विकास करने का जिम्मा केन्द्र सरकार ने लिया है। लेकिन राजनीति का घुसपैठ इस बात से भी इन्कार करने लगी है कि यहाँ विकास भी हो।.....

Tuesday 29 March 2011


अपने जीवन के उतरार्ध देखने की कोशिश कर रहा हूँ, शायद ये रहे या इससे से भी कुछ अजीब रहेगा ....,

यादगार पल


पिता जी के साथ बिताए बेहतरीन पल हैं जो कि बेहद यादगार हैं शायद जीवन में एक मीठी याद रहेगी ये .....

कयास


एक कयास है कि कभी हम भी होते इस दरम्यां तो क्या होता ।.....

Wednesday 9 March 2011

याद...


हल्की सी धुधली सी याद है ये बस...