मैं शुरुआती दौर से एक घुम्मक्कडी का जीवन बीताना चाहता था। लेकिन ना तो संयोग जुट पाता था और ना ही कोई मौका ही मिल पाता था। लेकिन मेरी नौकरी ने ही इस ओर प्रेरित किया कि घुम्मक्कडी जीवन बीता सकूँ। लिहाजा त्रियंबकेश्वर भी घूम आया जो एक शांत और सुखद अनुभव दे गया।
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